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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
२२६ चौपाई छन्द । माघ असित चउदश विधि सैन, हनि अघाति पाई शिव दैन । सुर नर खग कैलाश सुथान, पूजें मैं पूजू धर ध्यान ॥
दाहा। रिषभ देव जिन सिध भये गिर कैलाशसे जोय। मन वच तन कर पूज हूं शिखर नमं पद सोय॥ ओं ह्रीं श्री कैलाश सिद्धक्षेत्र परवत सती माघ सुदी १४ को श्री आदिनाथ तीर्थङ्कगदि असंख्य मुनि मुक्ति पधार तिनके चरण कमलकी पूजा अघम.
दाहा। वासु पूज्य जिनकी छवी अरुन वरन अविकार । देहु सुमति विनती करू ध्याऊं भवदधिनार ॥ वासु पूज्य जिन सिध भये चम्पापुरसे जैह । मन वच तन कर पूज हूं शिखर सम्मेद यजेह ॥ ओं ह्रीं श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्र परवत मनी भादवा सुदी १४ श्री वासुपूज्य तीर्थङ्कगदि असंख्य मुनि मुक्ति पधार तिनके चरण कमल की पूजा अघम