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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
सोरठा। हनि अघाति निरवान फागुन द्वादशि कृष्ण ही। जजू मोनकल्यान, गए सुरासुर पद जजों ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिम्बर सिद्धक्षत्र परवन सनी निर्जर नामा कूटके दरशन फल एक काइ उपवास और श्रामुनिसुव्रतनाथ तीर्थङ्कगदि निन्यानवे कोड़ा काड़ सत्यानव काडि नौ लाग्व नौ सौ निन्यानवे मुनि मुक्ति पधार निनके चरगा कमल का पूजा
अर्घ ।
मारठा
शेषकर्म हनि मोन फागुन सुकल जु सप्तमी। जजं गुणनिके धोक, गये समेदाचल थकी ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मद शिखर मिद्धक्षेत्र परवन मनी ललित कूटके दरशन फल मालह लाख उपवाम और श्रीचन्द्रप्रभु तीर्थङ्करादि नौसौ चौगसी अरब बहत्तर कोडि अम्मी लाग्य चौगनी हजार पांच सौ पंचानवे मुनि मुक्ति पधारं निनके चरणकमलाकी पूजा अघ०
मांगठा। गये मोन भगवान अष्टम सित आसौजकी। देहु देहु शिवथान, वसुविधि पदपंकज जजें ॥ ओं ह्रीं श्रीसम्मेद शिग्वर सिद्धक्षत्र परवत सनी विद्युतवर कृट के दर्शन फल एक कीड़ उपवास और श्री शानल नाथ तीर्थङ्कगदि अठारह कोड़ा कोड़ि बयालीस कोड़ बत्तीस लाख बयालिस
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