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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
२२५ बयामी करोड चौरासी लाख पैंतालीस हजार मात में बयालिम मुनि मुक्ति पधारे. तिनके चरण कमल की पूजा अर्घ०
मोरठा। हनि अघाति शिव थान, चतुर्दशी वसाग्व वदि। जजू मोक्ष कल्यान, गये समेदाचल थकी ॥ श्री ह्रीं श्री सम्मेद शिग्वर मिदक्षत्र पग्वन मनी मित्रधर कूटके दरशन फल एक कोई उपवास और श्री नमिनाथ नाथङ्कगदि नौ में कोड़ा काही एक अग्व पैंतालिम लाग्य सात हजार नौ से बयालिस मुनि मुक्ति पधार तिनके चरणकमल की पूजा अर्घ०
सारठा।
सरव करम हनि मोक्ष, चैत अमावस शिव गये । मैं जजहूं वसु धाक, चतुर निकाय सुरा जजें॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिखर मिद्धतंत्र परवत सेती नाटक नामा कृटक दरशन फल छानव काइ उपवास और श्रीअरहनाथ तीर्थकदि निन्यानव काइ निन्यानवे नाग्य निन्यानव हजार नौ में निन्यानवे मुनि मुक्ति पधार निनके चरगा कमलकी पूजा अघ,
दाहा। फागुन पंचमि सुकल ही शेष कर्म हनि मोन्न । गए समेढाचल थकी. शिवपद हित गुण धोक॥ ओ ह्रीं श्री मम्मद शिम्बर सिद्धनत्र परवत मनी मंचल कृट के दग्शन फल एक कोड़ उपनाम और श्रीमल्लिनाथ नाथङ्कगदि छानवे काड़ मुनि मुक्ति पधार तिनके चरणकमल की पूजा अर्घ०