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________________ રક श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह । कोड़ा कोड़ी साठ लाख छः हजार सात से बयालिस मुनिमुक्ति पधारे, तिनके चरणकमल की पूजा अर्घ० दोहा। फागुन सुदि सप्तमि दिना हनि अघातिया राय। जगत फांस • काटकै मोक्ष गये जिनराय ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षत्र परवत सेती प्रभास कूट के दरशन फल एक कोड़ उपवास और श्रीसुपार्श्वनाथ तीर्थङ्कगदि उनचास कोड़ा कोड़ चौगमी कोड़ बहत्तर लाग्ब मान हजार सात से बयालिम मुनि मुक्ति पधार. तिनके चरणकमल की पूजा अर्घा दोहा। चैत सुकल पंचम दिना हनि अघातिया राय । मोक्ष भये सुरपति जजै मैं जजहूं गुण गाय ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिग्वर मिद्धक्षेत्र परवत सेती निद्धवर कूट के दर्शन फल बत्तीस कोड़ उपवास और श्री अजितनाथ तीर्थङ्गादि एक अरब अस्सी कोड़ चौपन लाख मुनि मुक्ति पधार. तिनक चरण कमलकी पूजा अर्घ० । दोहा जुगल नाग तारे प्रभु पार्श्वनाथ जिनराय । सावन सुदि सातें दिवस लहे मुक्ति शिव जाय ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सती सुवरनभद्र कूटके दरशन फल सोलह कोड़ उपवास और श्रीपाश्वनाथ तीर्थङ्करादि
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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