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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। २२३ तीम कोड़ा कोड़ी उन्नीस कोड़ नौ लाख नौ हजार सात से पंचानवे मुनि मुक्ति पधारे, तिनके चरण कमल की पूजा अर्घ०
दोहा। चैत सुकल एकादशी शिवपुरमें प्रभु जाय । लहि अनंत सुख थिर भये आतमसं लव ल्याय॥ ओ ही श्री सम्मेद शिग्वर सिद्धक्षेत्र परवन सेता अविचल कूटके दरशन फल एक काड़ि उपवाम और श्री सुमतनाथ ताथकगदि एक कोड़ाकोड़ी चौगसी कोड़ बहनर लाख इक्यासी हजार सात सै मुनि मुक्ति पधार तिनके चरणकमल की पूजा अर्घ०
दाहा। जेठ सुकल चउदस दिना सकल कर्म क्षय कीन। सिद्ध भये सुखमय रहैं हुए अष्टगुण लीन ॥
ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिम्बर क्षेत्र परवत सेती प्रभास कूटक दरशन फल एक काड़ उपवास और श्रीशान्तिनाथ तीर्थङ्कगदि नौ कोड़ा कोड़ा नौ लाग्य नौ हजार नौ मौ निन्यानव मुनि मुक्ति पधारे, तिनके चरणकमल की पूजा अर्घ
दाहा।
वदि अषाढ़ अष्टमि दिवस मोक्ष गये मुनि ईश। जजू भक्रितें विमल प्रभु अर्घ लेय नमि शीश ॥ ओं ह्रीं श्री मम्मद शिखर सिद्धनत्र परवत सेनी सुवीर कुल कूट के दरशन फल एक कोड़ उपवाम और विमलनाथ तीर्थङ्करादि सत्तर
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