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श्री जैन
पूजा-पाठ संग्रह |
विशेष पूजा-संग्रह
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श्री सम्मेद शिखर पूजा ।
दोहा | सिद्धक्षेत्र तीरथ परम, है उत्कृष्ट सुथान । शिखर समेद सदा नमूं, होय पापकी हानि ॥ १ ॥ अगनित मुनि जहंतें गये लोक शिखरके तीर । तिनके पद पंकज नमूं, नाशों भवकी पीर ॥२॥
अडिल्ल छंद ।
है उज्ज्वल यह क्षेत्र सु प्रति निरमल सही । परम पुनीत सुठौर महागुणकी मही ॥ सकल सिद्धि दातार, महा रमणीक है । बंडूं निज सुख हेत, अचल पद देत है ॥३॥
सोरठा ।
शिखर समेढ़ महान, जगमें तीर्थ प्रधान है । महिमा अद्भुत जान, अल्पमती में किम कहूं ॥ ४ ॥