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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह ।
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छपी हुई सरस्वती पूजा करना चाहिय । सरस्वती पूजा में फल चढ़ाने के बाद आगेका पद्य बालकर शामजाक लिय एक शुद्ध वस्त्र या बष्टन चढ़ाना चाहिय । पूजा कर चुकने के पश्चात रकवीमें कपूर प्रज्वलित करके सबको बड़े होकर खूब ललित ध्वनिसे नीचे लिम्वी श्रारती बालाना चाहिये।
जिनवाणी माता की आरती । जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बे वाणी । तुमको निश दिन ध्यावत सुरनर मुनी ज्ञानी ।। टेर ।। श्रीजिन गिरते निकमी, गुरु गौतम वाणी । जीवन भ्रम तम नाशन दीपक दरशाणा ।। जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बे वाणी ॥१॥ कुमत कुलाचल चूरण, वज्र मु सरधानी । नव नियोग निक्षेपण, देवन दरपाणी ।। जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बे वाणी ।।२।। पातक पंक पखालन, पुण्य परम पाणी । मोहमहार्णव इवत, तारण नौकाणी ।। जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बं वाणी ॥३॥ लोकालोक निहारण, दिव्य नेत्र स्थानी । निज पर भेद दिखावन, सूरज किरणानी ।। जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बं वाणी ॥४॥