________________
श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह |
दिवाली पूजा |
जिस दिन दिवाली हो उस दिन सायंकाल में शुभ बेला शुभ नक्षत्र में निम्न प्रकार पूजा करके नई बहका मुहूर्त करें । तथा दीपमालिका की रोशनी करे।
२१४
एक ऊंची चौकी पर थाल या रकेबी रखकर उसमें केशर से ॐ लिखना चाहिये. उसी चौकी के आगे दूसरी चौकी पर शास्त्रजी या जिनवाणी की पुस्तक विराजमान करना चाहिये । इन दोनों चौकियों के आगे एक छोटी चौकी पर पूजा की सामग्री तैयार रखना चाहिये और इसी के पास एक दूसरी छोटी चौकी पर थाल रखकर उसमें पूजा की सामग्री चढ़ाना चाहिये । पूजा करने वाले को पूर्व या उत्तर मुख करके पूजा करना चाहिये। जो कुटुम्बमें बड़ा हो या दुकान का मालिक हो वह चित्त में एकाग्रता करके पूजा करें और उपस्थित सब लोग पूजा बोलें तथा शांतिसे सुने। यहां पर व्यापार की बही में केशर से स्वस्तिक लिखकर तथा दवात कलमके मौली बांधकर सामने रख लेना चाहिये । पूजा प्रारम्भ करनेके पहले उपस्थित सब सज्जनों को नीचे लिखे श्लोक बोलकर केशरका तिलक कर लेना चाहिये ।
तिलक मंत्र | मंगलं भगवान् वीरो. मंगलं गौतमांगणी । मंगलं कुंद कुंदाद्यो, जैनधर्मोऽस्तु मंगलं ॥ १ ॥
तिलक करनेके बाद साधारण नित्य नियम पूजा करके १५४ वें में छपी हुई महावीरस्वामी की और १०० में पृष्ठम