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श्री जैन
पूजा-पाठ संग्रह |
वरदतराय रु इन्द मुनिंद, सायर दत्त आदिगुणवृंद | नगरतारवर मुनि उठ कोडि, बंदौ भाव सहित कर जोडि || ४ || श्री गिरनार शिवर विख्यात, कोडि बहत्तर अरु सौ मात | संप्रदुम्न कुमर भाय, अनिरुध आदि नमं तसु पाय | ५|| रामचंद्र के सुत है वीर, लाडनरिंद आदि गुणधीर । पांचकोडि मुनि मुक्तिमकार, पाचागिरि बंदी निरधार || ६ || पांडव तीन द्रविड़गजान, आठकोडि मुनि मुकति पयान | श्री शत्रुंजय गिरि के सीस, भावसहित बंदौ निशदीम |||७|| जे बलभद्र मुकति में गये, आठकोडि सुनि और भये 1 श्रीगजपंथ शिखर सुविशाल, तिनके चरण नमं तिहुंकाल |८|| राम हनू सुग्रीव सुडील, गवयगवाख्य नील महानील । कोडि निन्याराव मुक्ति पयान, तुंगीगिरि बंदी धरि ध्यान ॥९॥ नंग अनंग कुमार सुजान, पांचकोडि अरु अर्ध प्रमान । मुक्ति गये सोनागिरि शीस, ते बंदों त्रिभुवनपति ईस ॥ १० ॥ रावणके सुत आदिकुमार, मुक्ति गये रेवातट सार । कोटि पंच अरु लाख पचास, ते बढ़ी धरि परम हुलाम ॥ ११ ॥ रेवा नदी सिद्धवरकूट, पश्चिम दिशा देशा देह जाँ छुट । द्वै चक्री दश कामकुमार उठकोडि बंदी भव पार ||१२|| बडवानी बडनयर सुचंग, दक्षिण दिशि गिरिचूर उतंग | इंद्रजीत अरु कुम्भ जु करणं, ते बंदों भवसागर तखे || १३ ||
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