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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। २०६ दीपमालिका विधान।
निर्वाणोत्सव । श्री शुभ मिनी कार्तिक वदी अमावस्या के प्रातःकाल करीब ४ बजे शौचादि म निवृत्त होकर म्नानादि प्रातःकालीन क्रियायें करके श्रीमहावीर स्वामीका निर्वाण कल्यागाक उत्सव मनाने के लिय श्रीमंदिरजी में जाना चाहिय । वहां पर ग्वत्र ठाठबाटमे नृत्य महात्मव. गायनवादित्रादिक माथ नित्य नियम पूजा करके श्री महावीरम्वामी की पूजा करनी चाहिये । महावीर स्वामीकी पृजाम गभ. जन्म. नप और ज्ञान कल्याणकका अर्घ चढ़ानेक बाद प्रिय मधुर ध्वनिम निवागा कागद वाले, फिर मोक्ष कल्याणक का पद्य बाल कर उपस्थित सभी बी-पुरुपा को अर्घ महित निर्वागजाका लाट्ट चढ़ाना चाहिये। इस वक्त वदिवादिकी ध्वनिम मंदिरका गुञ्जायमान कर देना चाहिय ।
निर्वाणकांड भापा। वीतराग बंदों मदा, भावसहित सिग्नाय । कहूं कांड निर्वागाकी भाषा सुगम बनाय ॥१॥
चौपाई। अष्टापद अादीश्वर म्बामा, वासुपूज्य चंपापुग्निामि । नेमिनाथ म्बामा गिरनार, बंदा भावभगति उर धार ।।२।। चम्म तीर्थकरचम्म गर्गर, पावापरि म्वामी महावीर । शिखग्समंद जिनमुर वीम, भावमाहित बंदा निश दीम ॥३॥