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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह ।
जय भव्यन कर भव- सिंधु
पार ।
सीस धार ॥
मैं प्रणमं युग कर जय समर - विटपिजारन जय मोह तिमिरनाशन प्रकाश ॥८॥
हुताश ।
जय दोष अठारा रहित देव ।
J
सेव ॥
मुझ देहु सदा तुम चरण
हूं करू
चीनती जोड़ तारन-तरन निहार
भव
हाथ |
नाथ ॥ ६ ॥
१६१
बत्ता छंद
श्री वीर जिनेश्वर नमत सुरेश्वर वसु विधिकर युगपद-चरचम् । बहुतूर बजावै गुण गण गाव, रामचन्द्र मन अति हरपम् ॥ १० ॥
ह्रीं श्री महावीर जिनेन्द्राय गर्भ जन्म, नप ज्ञान निर्वाण पंचकल्याणुप्राप्ताय अनपदामये महाऽयं निर्वपामीति स्वाहा ।
इति श्री महावीर जिन पूजा सम्पूणा ।
अथ पूजा फल |
पण (डिल्ल)
कीरति है सफुराय सुराधिप बहुरि नावे | वृद्धि सिद्धि समऋद्धिबुद्धिता श्रिय अति पावें ॥