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श्री जन
पूजा-पाठ संग्रह |
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श्रीं ह्रीं श्री महावीर जिनेन्द्राय कार्तिक कृष्ण अमावस्यां मोक्ष कल्याणकाय अर्थ निर्वपामीति स्वाहा |
अथ जयमाला । दाहा ।
सन्मति सन्मति दो मुझे हो सन्मतिदातार । इहै भतिपावन जगत होय अमल विस्तार ॥ १ ॥
( पदडी चंद )
जय महावीर द्यनि अमल भान । सिद्धारथ चित अंबुज फुलान ॥ जय-त्रिसला कुव कुमुदनि अनृप । प्रफुलावन को मुख चंद्र रूप ॥ १ ॥ जय कुण्डलपुर जन्मा सुधान | हरिवंश व्योम मधि सुष्ट भान ॥ जय कनक वर्ण कर सप्त काय । हरि चिह्न हत्तर वर्ष आय ||२||
॥२॥
जय इंद्र को महावीर
सूर |
ह्व
सर्पक र ॥
सुन देव चलो फुंकार हाल विकराल क्रीडत कुमार भाजे विशेव ॥ ३ ॥
देख |