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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। ओ ह्रीं श्री महावीरजिनेन्द्राय गर्भ, जन्म. तप. ज्ञान निर्वाण __ पंचकल्याणप्रानाय अनवपदप्राप्तय अघ निवपामीति म्वाहा ।
__ अथ पञ्चकल्याणक । दोहा। पाठी शक्ल अमाद ही पुप्पोत्तग्ने देव । चय त्रिशला-उर अवतरे जजं भक्ति धरयेव ।।१।। श्रां ह्रीं श्री महावीर्गजनन्द्राय पापाढशुक्लपष्ठी गर्भ कल्यागा
काय अर्घ निर्व पामीति म्वाहा । चंत्र शुक्ल त्रोदाम सुगं कानो जन्म कल्यान । क्षीर-उदधित मेरुप में जजहूँ घर ध्यान ॥२॥ आँ ह्रीं श्री महावीर जिनेन्द्राय चैत्र शुक्ल त्रयोदश्यां जन्मकल्यागा
काय अघ निबंपाानि म्वाहा । अगहन दशमी कृष्ण हा तप धागे बन जाय । सुर नर-पति पूजा करी में जजहं गुण गाय ॥३॥ ओं ह्रीं श्री महावार जिनन्द्राय मार्गशिरकृष्गा दशम्यां नप
कल्याणकाय अघ निर्वपामानि स्वाहा। दशमी मित वंशाग्य की घातिकम चकचर । केवल ज्ञान उपाइयो जज चरण गुण भूर ॥४॥ श्रां ह्रीं श्री महावारजनन्द्राय वंशाग्वशुक्ल दशम्यां ज्ञान कल्याण
काय अर्थ निवपार्माति म्वाहा । कातिक वदि मावस गये शेप कम हन मोष । पावापुरत बीरजी जजं चरण गुण घोप ।।५।।