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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
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मो दीप मणिमय तेज भास्कर कनक भाजन लेय ही । श्री वीरनाथ जिनेन्द्र के युग चरण चरचं श्रेय ही ।। ओं ह्रीं श्री महावीर जिनेन्द्राय गर्भ. जन्म. तप. ज्ञान. निवारण पंचकल्यागामामाय माहांधकार गंगविनाशनाय दीपं निर्वपामीति म्वाहा। धूप मंग हताश धारे धम्र-ब्रज दिग में हवं । दिगपाल चित मनो क्षितिधर नील से आव इहै ।। मो मलय परिमल घ्राण रजन सुगं को अति ग्रंय ही । श्री वीरनाथ जिनेन्द्र के युग चरण चरचं श्रेय ही । ओं ह्रीं श्री महावार जिनेन्द्राय गर्भ. जन्म. नप. ज्ञान, निर्वाग पंचकल्याणप्राप्राय अष्टकमदहनाय धूपं निवपामानि म्वाहा । शुभ फलोत्कर पक्व मधुर स्वरणं से मन को हरे । आमोद पावन पंज करहूँ मनोवांछित फल भ ।। भर थाल कनक मय अमर तरुके लग्ब चवको प्रेय ही। श्री वीरनाथ जिनेन्द्र के युग चरण चरचं श्रेय ही ।। ओ ह्रीं श्री महावीरजिनन्द्राय गर्भ. जन्म. नप. ज्ञान निर्वागण ___पंचकल्याणप्राप्राय मानफल प्राप्तय फलं निवपामनि म्वाहा। नीर गंध इत्यादि द्रव ले कमल पद मन्मतितने । जे जजें ध्यावे वंदि मत ठानि उत्सव अनिघन ।। मुर होय चक्री काम हलधर नीर्थ पद की श्रेय ही। सुख गमचन्द लहन शिवक अघ कर प्रभु धेय ही ।।