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श्री जैन पजा-पाठ संग्रह ।
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हो दिवि अमरेश्वर, पहमि नरेश्वर,
शिव सुन्दर ततदिन वई ॥ प्रा ह्रीं श्रीशान्तिनात्रिनंद्राय गर्भ. जन्म. तप. ज्ञान. निर्वाण पंचकल्याणकप्राप्ताय अनपद प्राप्तय महा निवपााति म्वाहा। इति श्रीशांतिनाजिन पूजा संपण ।।२।।
२० अथ श्रीमुनिमुव्रतनाथ जिन
पृजा प्रारभ्यते।
( गमचन्द्रकला ) जटिल । मकल पगपह जान ध्यान अमित हने, घाति चतुक दि जान भव्य बोध घने । मुनिसुव्रत जिन पांय नम मिर नाय के, अाह्वानन विधि कम चरण लवलाय के ॥ ओ ह्रीं श्रीमुनिसबननानिनन्द अत्रावनगवनर संवापट
आह्वाननम । ग्रा ही श्रीनिमवतनाथजनन्द अत्र निष्ट निष्ट ठ:ट म्थापनम। श्रा ही श्रीमुनिमबनना जनेन्द्र अत्र मम मन्निहिता भव भव वपट मन्निधाकर गाम ।।
अथ अष्टक ( ढाल जागागमा का ) इंदशरदऋतु का अंगन मिन मुनिचिनमा अविकाग, शीत मुगंध तृट परमत नाम नार्थीदक भर भागे ।