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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। धन नगरी हथना-पुरी, धन्य पिता विश्व-सेन । धन्य उदर ऐरा सती, शांति भये सुख देन ॥ शांति करो जग शांत जी ॥३॥ भाद्रव सप्तमि कृष्ण ही, गर्भकल्याणक ठान। रत्न धनद वरषाइये, पट नव मास महान ॥ शांति करो जग शान्त जी ॥४॥ जेट असित चउदस विषे, . जन्म कल्याणक इंद । मेरु करचो अभिषेक जी. पूज नचे सुरवृद ॥ शांति करो जग शांत जी ॥५॥ हेम वरण तन सोहनो. तुंग धनुष चालीस । आयु वरष लख नरपति, सेवत सहस बत्तीस ॥ शांति करो जग शान्त जी ॥६॥ षट् खंड नवनिधि तिय सवै. चउदह रत्नभंडार। कछ कारण लखके तजे, ग्वण चवअसिय अगार। शांति करो जग शांत जी ॥७॥