________________
१३० श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
रोग सोग आधि व्याधि पूजते नसाय है। अनंत सौख्य सार शांतिनाथ सेय पाय है ॥२॥ ओं ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्राय गर्भ. जन्म, तप. ज्ञान. निर्वाण पंचकल्याणकप्राप्ताय संसागताप-रोग-विनाशनाय चन्दनं निर्व. पामीति स्वाहा। इंदु कुंद हारतें अपार स्वेत शालि ही । दुत्तिखंड-कार पुंज धारिये विशाल ही ।। रोग सोग आधि व्याधि पूजतें नसाय है। अनंत सौख्यसार शांतिनाथ सेय पाय है ॥३॥ ओं ह्रीं श्रीशांतिनाजिनेन्द्राय गर्भ. जन्म. तप, ज्ञान. निर्वाण पंचकल्याणकप्राप्ताय अक्षय-पदप्राप्तये अक्षतान निवपामाति स्वाहा। पंच वर्ण पुष्प सार लाइये मनोज्ञ ही । स्वर्ण थाल धारिये मनोज नाश योग्य ही ॥ रोग सोग आधि व्याधि पूजतें नसाय है । अनंत सौख्य सार शांतिनाथ सेय पाय है ॥४॥ ओं ह्रीं श्रीशांतिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ. जन्म. तप. ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याणकप्राप्ताय काम-वाण-विनाशनाय पुष्पं निवपार्माति स्वाहा। खंड घृत कार चारु सद्य मोदकादि ही । सुष्टु मिष्ट हेम थाल धार भव्य स्वाद ही ॥