SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जन पूजा-पाठ संग्रह। १२६ १६ अथ श्रीशान्तिनाथ जिन पूजा ( रामचन्द्र कृन ) अडिल्ल । शांति जिनेश्वर नर्म तीर्थ वसु-दुगुण ही । पंचम चक्री अनंग-दुविधषट सुगुण ही ।। तृणवनिधि सब छांड धार तप शिव वरी । आह्वानन विधि करू वारत्रय उच्चरी ॥१॥ आं ह्रीं श्रीशांतिनाथजिनेन्द्र अत्रावतगवतर मंत्रौपट आह्वाननम । ओ ह्रीं श्रीशांतिनाथ जिनेन्द्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम । ओं ह्रीं श्रीशांतिनाजिनेन्द्र अत्र मम सन्निहिता भव भव वषट सन्निधीकरणम ॥ अथ अप्टक । ( नागकछंद)। शलहेम ते पनंत आपगासु व्योम ही । रत्नमुंग धार नीर शीत अंग सोम ही ॥ रोग मोग आधि व्याधि पूजतें नसाय है। अनंत सोख्य मार शांन्तिनाथ सेय पाय है ॥१॥ ओ ह्रीं श्रीशांतिनाथजिनन्द्राय गर्भ. जन्म. नप. ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याणकप्राप्ताय जन्ममृत्युजगगंगविनाशनाय जलं निर्वपार्माति स्वाहा। चंदनादि कंकुमादि गंध सार ल्यावहीं । भृङ्गद गंजते समीर संग ध्यावहीं ॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy