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श्री जैन पूजा-पाठ संप्रह।
___जयमाला दोहा। आदि धर्म करता प्रभू, आदि ब्रह्म जगदीश। तीर्थंकर पद जिह लयो, प्रथम नवाऊं शीस ॥
भुजंगप्रयात छंद। . नमों देव देवेंद्र तुम चर्ण ध्यावे, नमों देव इन्द्रादि सेवक कहाव । नमों देव तुमको तुम्हीं सुक्खदाता, नमों देव मेरी हरो दुख असाता ॥१॥ तुम्ही ब्रह्मरूपी सुब्रह्मा कहावी, तुम्हीं विष्णु स्वामी चराचर लखावो । तुम्ही देव जगदीश सर्वज्ञ नामी, तुम्ही देव तीर्थश नामी अकामी ॥२॥ सुशंकर तुम्ही हो तुम्हीं सुक्खकारी, सुजन्मादि त्रयपुर तुम्हीं ने विदारी । धरै ध्यान जो जीव जगके मझारी, करै नास विधिको लहै ज्ञान भारी ॥३॥ स्वयंभू तुम्ही हो महादेव नामी, महेश्वर तुम्ही हो तुम्हीं लोकस्वामी । तुम्हें ध्यानमें जो लखे पुन्यवंता, वही मुक्तिको राज विलसे अनंता ॥४॥