SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जन पूजा-पाठ संग्रह | आदिनाथ पूजा । डिल्ल छन् । कर्मभूमिकी आदि ऋषभ जिनवर भये, धर्मपंथ दरशाय सकल जग सुख दये । तिनके पद उर ध्याइ हरष मनमें धरू, अत्र निष्ठ जिनराज चरण हिरदे धरू ॥ श्रीं ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र श्रावतरावतर संवौषट् । अत्र तिष्ठ तिष्ठ । ठःठः । स्थापनं । अत्र मम अन्निहितो भव भव । वषट् । सन्निधिकरणं । १२६ सुन्दरी छंद । परम पावन उज्वल लायके, जल जिनेश्वर चरण चढ़ायके । जन्म मरण त्रिदोष सबै हरू, ऋषभदेव चरण पूजा करू ं ।। ह्रीं श्री आदिनाथजिनेंद्राय जलं निर्वपामीति स्वाहा । सरस चंदन गंध सुहावनो, परम शीतल गुण मन भावनो । जन्मतापतृषादुखको हरू, ऋषभदेव चरण पूजा करूं ।। ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेंद्राय चंदनं निर्व० । शरदइन्दु समान सुहावनो, अमल अक्षत स्वच्छ प्रभावनो । सहजरूप सुधीरमनी वरू, ऋषभदेव चरण पूजा करू ॥ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेंद्राय अक्षतं निर्वः ।
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy