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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह | सोरठा ।
नीर सुगन्ध अपार, त्रिषा हरै मल छय करै । सम्यकदर्शनसार, आठ अंग पूजौं सदा ॥१॥
श्रीं सम्यग्दर्शनाय जलं निः ॥
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जल केशर घनसार, ताप हरै शीतल करें । सम्यकदर्शनसार, आठ अंग पूजों सदा ॥२॥ श्रीं ह्रीं सम्यग्दर्शनाय चंदनं निः ।
अनूप निहार, दारिद ना सुख करें । सम्यक दर्शनसार, आठ अंग पूजौं सदा ॥ ३ ॥
श्रीं ह्रीं श्रष्टांग सम्यग्दर्शनाय अनं निः ।
पुहुप सुवास उदार, वेट हरे मन शुचि करे । सम्यकदर्शनसार, आठ अंग पूजों सदा ॥४॥
श्रीं ह्रीं सम्यग्दर्शनाय पुष्पं निः ।
नेवज विविध प्रकार. क्षुधा हरै थिरता करें | सम्यकदर्शनसार, आठ अंग पूजों सदा ॥५॥
ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय नैवेयं निः
दीप ज्योति तमहार. घटपट परकाशै महा । सम्यकदर्शनसार, आठ अंग पूजों सदा ||६||
श्रीं ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय दीपं निः ।