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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। १०५ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पुंज करों। वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव धरों ६॥ ओं ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर अर्घ निर्व
जयमाला दोहा : कातिक फागुन साढ़के, अंत आठ दिनमांहि । नंदीश्वर सुर जात हैं, हम पूजें इह ठाहिं ॥१॥
एकसौ मठ कोड़ि जोजन महा, लाख चौरासिया एकदिशिमें लहा । अाठमों द्वीप नंदीश्वरं भास्वरं, भौन बावन्न प्रतिमा नमों सुखकरं ॥२॥ चारदिशि चार अंजनगिरी गजहीं, महम चौरासिया एकदिशि छाजहीं। ढोलमम गोल ऊपर तले सुन्दरं, भौन बावन्न प्रतिमा नमों सुखकरं ॥३॥ एक इक चार दिशि चार शुभ बावरी, एक इक लाख जोजन अमल जलभरी । चहुंदिशा चार वन लाख जोजन वरं, भौन बावन्न प्रतिमा नमों सुखकर ॥४॥