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________________ १०४ 24 श्री जन पूजा-पाठ संग्रह | श्रीनंदीवरद्वीपे पूर्वदक्षिण पश्चिमोत्तरे नवेद्यं निर्व दीपककी ज्योति प्रकाश, तुम तन मांहिं लसै । टूटै करमनकी राश, ज्ञानकणी दरसे ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पंज करों । वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव घरों ६ ॥ ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीप पर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर दीपं निर्व० कृष्णागरुधूप सुवास, दशदिशि नारि बरे । तिहरषभाव परकाश, मानों नृत्य करे ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पुंज करों । वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंद भाव घरों ७ ॥ श्रीं ह्रीं श्रीनंदीश्वरी पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर धूपं निर्वा C बहुविधफल ले तिहुंकाल. आनन्द राचत हैं । तुम शिवफल देहु दयाल, सो हम जाचत हैं ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पुंज करों । वसु दिन प्रतिमा अभिराम आनंदभाव घरों = ॥ " ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर फलं निर्व · यह अर्ध कियो निज हेतु, तुमको अरपत हों । 'द्यानत' कीनो शिवहेत, भूप समरपत हों ॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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