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श्री जन पूजा-पाठ संग्रह |
श्रीनंदीवरद्वीपे पूर्वदक्षिण पश्चिमोत्तरे नवेद्यं निर्व
दीपककी ज्योति प्रकाश, तुम तन मांहिं लसै । टूटै करमनकी राश, ज्ञानकणी दरसे ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पंज करों । वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव घरों ६ ॥
ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीप पर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर दीपं निर्व०
कृष्णागरुधूप सुवास, दशदिशि नारि बरे । तिहरषभाव परकाश, मानों नृत्य करे ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पुंज करों । वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंद भाव घरों ७ ॥
श्रीं ह्रीं श्रीनंदीश्वरी पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर धूपं निर्वा
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बहुविधफल ले तिहुंकाल. आनन्द राचत हैं । तुम शिवफल देहु दयाल, सो हम जाचत हैं ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पुंज करों । वसु दिन प्रतिमा अभिराम आनंदभाव घरों = ॥
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ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर फलं निर्व
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यह अर्ध कियो निज हेतु, तुमको अरपत हों । 'द्यानत' कीनो शिवहेत, भूप समरपत हों ॥