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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
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नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पंज करों। वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव धरों२॥ ओं ह्रीं नंदीश्वरोप पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तर चंदनं निर्व० उत्तम अन्नत जिनराज, पंज धरे सोहैं । सब जीते अन्नसमाज, तुम सम अझ को है ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पुंज करों। वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव धरों ३॥ ओं ह्रीं नंदीश्वरीय पूर्व दक्षिणपश्चिमानर अक्षनान निव.. तुम काम विनाशक देव, ध्याऊं फूलन सौं। लहि शील लक्ष्मी एव, छूटुं मूलन सौ ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, बावन पंज करों। वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव धगें ४॥ ओं हीं नंदीश्वीप पूर्व दक्षिणपश्चिमान पुप्पं निर्व। नेवज इन्द्रियवलकार, सो तुमने चूरा। च: तुम ढिंग सोहे सार, अचरज है पूरा ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम, वावन पंज करों। वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंदभाव धरों ५॥