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प्रस्तावना.
आवा संयोगोथी विरहानलमां बळती राजीमती विचारे छे के, मारं हृदय प्रिय वल्लभ विना तप्त पाषाणनी पेठे फूटे छे, आ दुःखनो प्रतिकार दृष्टिसमक्ष उपस्थित थयेल आ मेघ ज छे. कारण दावानळथी बळता वनने शीतळ जळथी शांत करनार केवळ मेघ ज छे. तदनुसार ते मारा प्रियतमने पण शांत करशे. आम विचारी केटलाक श्लोकोमा मेघनो सत्कार करे छे. ते पछी पोताना पतिने जे संदेश कहेवानो छे, ते पहेलां तेमनी ओळखाण करावे छे. कवि प्रभुर्नु चरित चितरवामां बधुं काव्य पूर्ण करे छे. अथवा काव्य चार सर्गमां चहेंचायुं छे. तेमनी विषयवार वहेंचणी आ प्रमाणे करी शकाय___ पहेला सर्गमां नेमिनाथनी बालक्रीडा तथा पराक्रमलीलानुं वर्णन छे.
बीजा सर्गमां वसंतवर्णन छे. तेमां प्रभुनी विविध प्रकारनी वसंतक्रीडानुं वर्णन छे.
त्रीजा सर्गमां विवाहमहोत्सव अने गृहत्यागर्नु वर्णन छ.
चोथा सर्गमां विरह विवशा राजीमती पतिविरहिणी स्त्रीनी दशानुं वर्णन करे छे. ते समये पोतानी दशानुं वर्णन मेघने संभळावे छे
कोकी शोकादसति विगमे वासरान्ते चकोरी
शीतोष्णर्तुप्रशमसमये मुच्यते नीलकंठी । त्यक्ता पत्या तरुणिमभरे कञ्चकश्चक्रिणेवाड
मत्रं वारां ह्रद इव शुचामाभवं त्वाभवं भोः! ॥४-९॥ आ प्रमाणे पोतानी दुःखित अवस्थानुं वर्णन कर्या पछी पोताना प्राणनाथने कहेवाना संदेशने संभळावे छे. चोथा सर्गना १४ मा श्लोकथी आरंभे छे अने ३७ मा श्लोक सूचीमा समाप्त करे छे. राजीमतीनी साहेलीओ आ संदेशो सांभळी राजीमतीने कहे छ:-हे सखि! तुं क्यां ने प्रभु नेमि क्या ? मेघ क्यां अने आ तारो संदेश क्यां ? आ सर्व अघटित बीना छे. तुं गमे तेटलो प्रयत्न करीश पण वीतरागी हारा उपर राग नहीं करी शके. तुं तेनो विश्वास छोडी