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प्रस्तावना.
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नेमिदूत
आ काव्य संभात निवासी सांगणना पुत्र विक्रम कविए रच्युं छे. आ कविना जीवनविषे वधारे जाणवामां आव्यु नथी. परंतु एटलं तो निश्चय पणे कही शकाय छे के, कवि ऋषभदास, प्रख्यात गुर्जर भाषामां अत्युत्तम रासाओ रची जेणे कविओमां सारुं स्थान प्राप्त कयुं छे, तेमना आ कवि भाइ थाय छे. बन्ने कविओना काव्योनी प्रशस्तिउपरथी उक्त बाबत स्पष्ट जाणी शकाय छे. आ कविनी आ एक नेमि - दृतसिवाय अन्य कृति होय एम हजु जणायुं नथी.
कवि मेघदूतना दरेक काव्यनुं अंतिम चरण लइ, अन्यत्रण चरणो पोते रची आ काव्यनी रचना करी छे. आ काव्यना संबंधमां स्व. किलाभाइ पोताना मेघदूतना अनुवादनी प्रस्तावनामां लखे छै के - " आनी भाषा, विचार अने पद्यरचना वगेरे सारां छे अने काव्यना गुणोमां पार्श्वभ्युदय करतां ए कंइक चढियातुं छे." आ कविए काव्यमां अप्रासंगिक बिलकुल कर्तुं नथी. शरुआतना श्लोकी वियोगी राजीमती पोतानुं दर्द मेघद्वारा नेमिनाथने कहावे द्वे वस्तु बीज एटल बधुं प्रख्यात छे के, तेना वर्णनमां कवि उतर्या नथी परंतु कविए काव्यमां विरही जनोनी यथार्थ दुःखित अवस्थानुं जे वर्णन करेलुं छे ते वांचवाथी वाचकने तुरत समजाशे के कवि सर्वानुभवी छे. आ १२५ लोकनुं दूतकाव्य नायक प्रत्ये विरहिणी नाथिकाना उपालंभोथी भरेलुं छे. पाठक श्लोके श्लोके राजीमतिनी दुःखित अवस्थामां तन्मय वनी ते दुःख पोते अनुभवतो जणाय छे. अहीं ज कविनी निपुणता छे के वाचक पोतानी स्थिति भूली काव्यनी स्थितिमां परिणत थाय. कविनी लालित्यपदपूर्ण कृतिना केटलाक श्लोको उदाहरणरूपे आपवा उचित समजीए छीए,
प्राणित्राणप्रवणहृदयो बन्धुवर्ग समग्र हित्वा भोगान् सहपरिजनैरुग्रसेनात्मजां च ।
१ - जुओ जैन कोन्फरन्स हेरल्डना ऐतिहासिक अंकमां रा. मोहनलाल द. देशाइनो "श्रावक कवि ऋषभदास" नामनो लेख.
२- जुओ ते पुस्तकनुं पृ. ८