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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 391 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
ज्ञानी पांच पापों से विरक्त रहता हैं यदि द्वेष रखेगा तो समता छूट जाएगी, कर्म का बंध होने लगेगां क्योंकि इनको देखकर हमारे परिणाम खराब होते हैं इसीलिए हमारे आचार्यों ने कहा है कि जिनागम का अध्ययन करो, उसी का चितवन करों जब आप समाचारपत्र पढ़कर सामायिक करोगे तो वहाँ सामायिक नहीं, समाचार ही गूंजेगां देखो, पंचमकाल है, विभावों से बचने का उपाय खोजों हमारे आचार्यों ने स्पष्ट लिखा है- निमित्तों से बचना चाहिये
Sonagiri Jain Tirth, Madhya Pradesh, India
श्री सोनागिरी तीर्थ छेत्र, मध्य प्रदेश.
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