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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 237 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
करना, लेकिन अभक्ष्यों को खा-खाकर अपनी हालत खराब मत कर देनां आजकल कच्चा मक्खन (बटर) खाने का बड़ा रिवाज चल चुका हैं 'मूलाचार' जी में कहा है-मधु, मद्य, मांस और मक्खन, ये चारों महाविकृतियों/ महामद को उत्पन्न करनेवाली हैं जब मक्खन का पिंड खा रहे हो, तब चिंतन जरूर कर लेना कि यह क्या हो रहा है? अरे भाई! किसी डेरी पर दूध लगवा लो पाँच किलो और घर में जमा दो, उसमें से घी निकाल लों शुद्ध खाओं अहो! ऐसे अभक्ष्य घी की अपेक्षा से रूखा खाना श्रेष्ठ है, पर वह मक्खन भक्षण करने योग्य नहीं हैं उस मधु, मक्खन आदि में उसी वर्ण के, उसी रंग के जीव होते हैं आप कहोगे कि दिख तो रहे नहीं हैं अरे! मिट्टी में मिट्टी के जीव कभी दिखते नहीं हैं, परंतु जीव होते अवश्य हैं पंच-उदम्ब-फल-(ऊमर, कठुमर, पाकर, अंजीर और पीपल के फल) अभक्ष्य हैं, क्योंकि फोड़ने पर उड़ते हुए जीव दिखते हैं उसके भक्षण में नियम से हिंसा होती हैं इसलिये पंच-उदम्बर-फलों का त्याग अवश्य ही करना चाहिए
तिजारा स्थित श्री मंदिरजी के शिखर,
मूलनायक श्री चन्द्रप्रभु भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान
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