SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 499
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ =વાયા છી ગોર વકો - प्रकरण - १८ २१वीं सदी की महान आत्मा से भेंट मैंने पिटले सभी प्रकरणों में कुछ ऐसी घटित घटनाओं का वर्णन किया है जो मेरे जीवन में श्रद्धा का कारण वनी। सम्यक् ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चारित्र द्वारा धर्म के तत्व को जानने का सुअवसर मिला। जो साधु, साध्वी, आचार्य, उपाध्याय व तीथों ने मेरे मन में तीर्थकरो की परम्परा को जानने में, मेरी सहायता की, मैं उन सव का अंतःकरण से आभार करना चाहता हूं। ऐसे व्यक्तियों के एक नाम. अगर उभरता है वह है श्रमण संघ के वर्तमान आचार्य डा० शिवमुनि जी महाराज। मेरा उन से प्रथम परिचय तव हुआ, जब वह साधु वनने के पश्चात मालेरकोटला अपने गुरू श्रमणसंघ के सलाहकार श्री ज्ञान मुनि जी महाराज के साथ आए थे। श्री ज्ञान मुनि जी आचार्य श्री आत्मा राम जी के विद्वान शिष्य थे। उनका काम उनके गुणों के अनुरूप है। हमारी संस्था ने उन्हें राष्ट्रसंत पद से विभूषित किया था। . आचार्य डा० श्री शिव मुनि जी महाराज का जन्म १८ सितम्बर १६४२ को आज से ५६ वर्ष पूर्व मलोट जिला फरीदकोट निवासी सेट चिरंजीलाल व माता विद्या देवी के यहां हुआ था। घर से आप सम्पन्न परिवार से थे। आप को बचपन से ही अध्ययन के प्रति लगाव था। जव ज्ञान मुनि जी मोगा में थे आप दसवीं कक्षा में पढ़ते थे। आप को वैराग्य लग चुका था। पर गुरुदेव ने आदेश दिया “अभी पढ़ों, फिर साधु वनना। आप ने घर में रहकर डवल एम. ए. कर लिया। फिर भी घर वालों से आज्ञा न मिली। लम्वे संघर्ष के बाद ३ वहिनों के साथ आप साधु वने। 19):
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy