________________
- आस्था का आर4म टोला तुलसी नगर में स्थित है। पुराना थाना मुहल्ला रवर्गधाम में प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव के चरण चिन्ह विराजमान हैं।
मुहल्ला रामकोट में प्रभु श्री राम की जन्मभूमि । है, यहां पर हनुमानगढ़ी, कनक भवन प्रसिद्ध हैं। श्री वालमिकी रामायण भवन एवं चार धाम मन्दिर छोटी छावनी अयोध्या मुहल्ला वासुदेव घाट में स्थापित हैं। इस तीर्थ पर हिन्दू व जैन धर्म को मानने वाले काफी संख्या में हाजिर होते हैं।
काफी लम्दै समय से अयोध्या नगरी देखने की इच्छा थी। पर कोई जाने का प्रोग्राम नहीं बन रहा था। एक वार मैं लखनउ अपने परिवार समेत अपनी वहिन उर्मिल को मिलने गया था। तभी यहां आने का कार्यक्रम वना। मैं सारे परिवार सहित अयोध्या पहुंचा। वहां अपनी गाडी में मैंने यह यात्रा सम्पन्न की। अयोध्या भारत का पवित्र नगर है। जहां इक्ष्वाकु कुल संस्थापक भगवान ऋषभदेव पैदा हुए। इस का नाम उन्होंने विनिता रखा। यह मानव सभ्यता का प्रथम नगर था। यहां से प्रभु ऋषभदेव के १०० पुत्र पुत्रीयां हुई। भरत चक्रवती के नाम से भारत वर्ष पड़ा। ब्राह्मी सुन्दरी व वाहुवलि जैसे महापुरुषों का यह नगर था।
यहां प्रभु ऋपभदेव ने पुरुषों को ७२ कलाएं व रिबीयों को ६४ कलाएं सिखाई। यह प्रथम चक्रवती भरत यहां पैदा हुआ। यहीं प्रभु महावीर का पूर्व जन्म मरिचि के रूप में हुआ। मरिची भरत का पुत्र था। प्रभु ऋषभदेव का पौत्र था। एक वार समोसरण लगा हुआ था। भरत ने प्रश्न किया “प्रभु ! आप की सभा में कोई ऐसा जीव है जो तीर्थकर रूप में जन्मेगा ?" प्रभु ऋषभदेव ने कहा "तुम्हारा पोत्र मरिची चक्रवती, वासुदेव तीर्थकर के रूप में पैदा होगा।
490