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- સારથા હી વોર વયને જન્મ में जनाना महल, मनोरम 'जयमहल, सुहाग मन्दिर, सुख मन्दिर आकर्षण का केन्द है । इस महल के निकट जयगढ़ का किला है । इसी के पास यह जैन मन्दिर प्रसिद्ध है ।
___ मन्दिर सांवला जी प्रभु नेमिनाथ को समर्पित है । मन्दिर संघीजी प्राचीन मन्दिर है । इसमें चन्द्रप्रभु की प्रतिमा है । संकटहरण मन्दिर प्रभु पार्श्वनाथ को समर्पित है । यह एक १८वीं सदी का कीर्ति का स्तम्भ है । बरखेड़ा तीर्थ :
यहां प्रभु ऋपभदेव की प्रतिमा है । इस तीर्थ का जर्णोद्वार आचार्य श्री नित्वनन्द जी ने किया था । विशाल मन्दिर दर्शनीय है । इसमें प्रभु शांतिनाथ, प्रभु पार्श्वनाथ, उद्देश्य पुंडरिक रवामी, प्रभु दमदत्त स्वामी की भव्य प्रतिमाएं .
पार्श्वनाथ-कुंथलगिरि :
इस तीर्थ की स्थापना प्रसिद्ध दिगम्बर आचार्य श्री देशभूपण ने १९५३ में की थी । जयपुर से पूर्व में अरावली पर्वत माला को जोड़ती एक ४०० फुट ऊंची शिखर पर १०० सीढ़ियां पार करनी पड़ती है । यह महावीर जी के रास्ते में पड़ता है । जवपुर का इतिहास काफी प्राचीन है । जयपुर से पहले आमेट ही नगर था, इस नगर के खण्डहर आमेट के किले में देखे जा सकते हैं । जयपुर में कुछ कार्य विश्वप्रसिद्ध हैं । वहां सबसे बड़ा मूर्ति उद्योग है । यहां इस काम का पूरा वाजार है । इसमें संगमरमर की प्रतिमा के अतिरिक्त धातु प्रतिमाओं कार्य प्रसिद्ध है । यहां की साड़ी, रजाई अपने आप में उदाहरण है ।।
जयपुर में कई हरतलिखित भण्डार बहुत प्रसिद्ध है । यहां जैन कला संस्कृति सुरक्षित है । भारी मात्रा में हिन्दू
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