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- ગામ્યા વોર વો રુદ્રમ प्रकरण १४ मेरी राजस्थान तीर्थ यात्रा
मै महावीर इंटनैशनल संस्था का मालेरकोटला इकाई का उप-प्रधान था । इस संस्था के अखिल भारतीय महावीर इंटरनैशनल संस्था के उप-प्रधान श्री धर्मपाल ओसवाल हैं। वह परोपकार व शाकाहार के कामों में भाग लेते रहते हैं । इस संस्था का विश्व स्तरीय सम्मेलन जयपुर में होना तय था
। उनका अनुरोध ४ कि मैं इस सम्मेलन में भाग अवश्य लूं ___ इस संस्था का मुख्य कार्यालय जयपुर में स्थित है । इसकी स्थापना जयपुर के एक जैन आई.ए.एस. अधिकारी श्री जे.
सी. मेहता ने की थी । इसका उद्देश्य भगवान महावीर के सिद्धान्तों का प्रचार करना है । इन सिद्धांतों में प्रमुख हैं शाकाहार । शाकाहः ही अहिंसा का प्रमुख आधार है । शाकाहारी व्यक्ति सहज भाव से करुणा व सत्य की प्रतिमा होता है । इस संस्त्र की एक खास बात है कि संस्था में कोई नी शाकाहारी व्यक्ति शामिल हो सकता है । इसके लिये आयु, जाति, रंग का भेद नहीं रखा जाता । यह संस्था परोपकार के काफी कार्य करती है । इस संस्था की प्रमुख सहयोगी संस्था है भगवान महावीर कल्याण केन्द्र जयपुर । यह संस्था कृत्रिम गों का निर्माण करती है । फिर अपंग व्यक्तियों को ढूंट कर, उनके साईज के अंग लगाती है । संसार में जयपुर के कृत्रिम अंग बहुत ही हल्के होते हैं। इस संस्था को राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सम्मान मिल चुके हैं । जग भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त सेवा सम्मान प्रमुख हैं । कृत्रिम अंग की सेवा विल्कुल निःशुल्क होती है ।
संस्था को दान सज्जन चला रहे हैं । इसकी एक ब्रांच युधियाना में खुल :ई है । मानवता की इस सेवा के
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