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ઝાસ્થા તી ચોર તે મ श्वेताम्बर निशियों से वापस हस्तिनापुर आते एक जंगल में दिगम्बर निशियां हैं । एक प्राचीन गुफा है, इन निशियों से बाहर निकलते ही हम मुख्य सड़क पर आ जाते हैं ।
जम्बूद्वीप :
हम जिस क्षेत्र में रहते हैं, उसे जम्बूद्वीप कहते हैं । जम्बू का अर्थ जामुन है । शायद इसी कारण इस क्षेत्र का नाम यह घड़ा | हम भरत खण्ड में रहते हैं । यह क्षेत्र द्वीप समुद्रों से घिरा हुआ है । इनके मध्य एक लाख योजन का सुमेरू पर्वत है । यह जैन भूगोल का विषय है । इसका ज्योतिष व गणित से सम्बन्ध है । पर इस वात को संसार के सामने सहज ढंग से प्रस्तुत करने का वीड़ा उठाया दिगम्वर जैन समाज की महान साध्वी माता ज्ञानमती जी ने । माता ज्ञानमती जी आचार्य देशभूषण महाराज की शिष्या है । वह परम विदुषी है, इनके १०० से ज्यादा ग्रन्थ जैन धर्म के विभिन्न विषयों पर छप चुके हैं । वह अयोध्या, कुण्डलपुर जैसे तीर्थों का जीर्णोद्वार वन चुकी है ।
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उन्होंने भगवान महावीर की २५वीं जन्म शताब्दी पर इसका निर्माण कार्य शुरु करवाया । इस विस्तृत परिसर का उद्घाटन स्वर्गीय प्रधान मंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी ने किया था । बड़े लम्बे समय के बाद धरती का श्रृंगार जम्बूद्वीप वना । यहां सात समुद्र, द्वीपों, चैत्यालय व प्रमुख पर्वत की स्थापना उल्लेखनीय ढंग से की गई है । यहां वाहन से घूमा जाता है । जम्बुद्वीप को समझने के लिये गाईड की जरूरत है । सुमेरू पर्वत ८१ फुट ऊंचा बनाया गया है । इसके भीतर की सीढ़ियां चढ़ने पर चार मंजिलें आती हैं । दूसरी मंजिल सबसे ऊंची है । हर मन्दिर पर चहुमुखी प्रतिमाएं
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