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को समर्पित करनी थी । यह अभिलाषा हमारी गुरुणी उपप्रर्वतनी साध्वी श्री स्वर्णकान्ता जी महाराज की थी । उन्हीं की इच्छा को पूर्ण करने हमें मेरठ जाना पड़ा । मेरठ जैनों की अच्छी आवादी वाला शहर है ।
देहली से २०० कि. मी. दूरी पर है । सम्मेलन की एक शाम पहले मेरठ रवाना हुए । प्रर्वत्तक पूज्य श्री शांतिस्वरूप जी महाराज के पहले हमने दर्शन नहीं किये थे । परन्तु गुरुणी जी के आदेश का पालन जरूरी था, सो शाम को यहां जाने का कार्यक्रम वन गया । पूज्य श्री शांतिस्वरूप जी महाराज आगमों के महान ज्ञाता थे । रात्रि को हम जैन नगर मेरठ में पहुंचे । यह नगर भी पूज्यश्री की देन है । पाकिस्तान से आये सहधर्मी भाईयों को इस नगर में वसावा गया है । इस नगर में जैन स्थानक, हस्पताल, समाधि, धर्मशाला, मन्दिर व पार्क है । नगर के बाहर अच्छा अतिथिगृह है । मेरठ नगर इतिहासिक नगर है । अधिकांश स्थानीय आवादी मुस्लिम है । फिर जैनों का नम्बर आता है
। इन जैनों में स्थानीय व पाकिस्तान से आये जैन सम्मिलित हैं । स्थानीय जैन अधिकांश दिगम्बर हैं । हम देर रात्रि पहुंचे । पूज्य श्री के दर्शन किये । उनका आशीर्वाद प्राप्त किया । महासती जी का सन्देश दिया, उन्हें पुस्तक भेंट की । महाराजश्री पुस्तक को देखकर प्रसन् गये । वहां के प्रधान ने फोटोग्राफर का प्रवन्ध किया । हम कुछ घंटे स्थानक में रुके, फिर मेरे धर्मभ्राता ने मझे परामर्श दिया कि क्यों न देहली वापसी पर तिजारा तीर्थ की यात्रा कर ली जाये । हम रात्रि मेरठ जैन नगर में रुके । सुबह होते सम्मेलन में भाग लेने के लिये देहली की ओर रवाना हुए । यहां आकर हमने श्री तिजारा तीर्थ का कार्यक्रम बनाया ।
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