________________
_... ... ... . . . . .....। हैं । इस मन्दिर के नीचे दो मन्दिरों में भगवान नेमिनाथ द भगवान पार्श्वनाथ की विशाल वैठी प्रतिमाएं हैं । यहां खरीदो फरोखत की अच्छी मार्किट है । भोजनशालाएं हैं । होटलों में शुद्ध शाकाहारी भोजन उपलब्ध है । यहां एक विशाल गुरुकुल व संस्कृत पाठशाला है, जहां दसवीं कक्षा तक पढ़ाई समाज की ओर से निःशुल्क दी जाती है । दिगम्बर समाज ने यहां मन्दिर के अन्दर जैनशोध पीठ स्थापित कर रखी है । इसकी अपनी पत्रिका है । यहां जैन मन्दिर के प्रचार, प्रसार की सामग्री विपुल मात्रा में उपलब्ध होती है । यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है । यह मन्दिर की वस स्टेशन तक सात किलोमीटर की यात्रा करती है । वह यात्रियों को लाती है और स्टेशन पर छोड़ती है । यह सेवा दिन-रात चालू रहती है । इसमें कभी विलम्ब नहीं होता । इतनी सुविधाओं के कारण यात्रा सरल हो जाती है । यात्री हर ट्रेन से उतरते हैं, चढ़ते हैं । स्थानीय ग्रामीण प्रभु भक्त हैं । यहां धर्मशालाएं में कुली आसानी से उपलब्ध होते हैं । यहां सुरक्षा व्यवस्था दृढ़ वनाई गई है । यात्री के जानमाल को कोई हानि न हो, इस बात का ध्यान रखा जाता है । यहां पूजन सामग्री के लिये मन्दिर में अलग केन्द्र है । मन्दिर के वाहर वाजार में हर प्रकार के जैन भजनों की कैसेट, वीडियो, पुस्तकें आसानी से उपलब्ध होती हैं । मन्दिर में यहां एक पुस्तक विक्रय केन्द्र है । मन्दिर का भव्य कार्यालय है जो दिन रात खुला रहता है । क्योंकि यात्री २४ घण्टे आते-जाते रहते हैं ।
इसी मन्दिर के पास एक और भव्य जैन मन्दिर है, जिसकी अपनी मार्किट है । यहां भी एक धर्मशाला है, यहां सभी धर्मशालाएं मन्दिर के अधीन हैं । यात्रियों के लिये डी-लक्स कमरो से लेकर साधारण कमरे हैं, जिनका किराया
389