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आस्था की ओर बढ़ते कदम
आता है । जयपुर नरेश भी इस मन्दिर के परम भक्त थे । उन्होंने दो गांव इस मन्दिर को भेंट किये थे । यह स्थल विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल वनता जा रहा है | दिगम्वर समाज का यह पूज्नीय तीर्थ मथुरा, भरतपुर, वयाना, हिडोन के वाद आता है । इस तीर्थ के लिये दिल्ली व आगरा से बसें भी मिल जाती हैं ।
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यहां इस मन्दिर के साथ ही एक चरण छतरी है, यह वह स्थान जहां से यह प्रतिमा निकली थी । इस प्रतिमा का उसी परिवार को जाता है, जिस परिवार ने इस प्रतिमा की खोज की थी । यह प्रतिमा कई तरह से अतिशय पूर्ण है । प्रतिमा की आयु १००० वर्ष से ज्यादा है, यह मुस्कुराती प्रतिमा है । ऐसी प्रतिमा भगवान महावीर की कम मिलती है । चेहरे में वीतराग झलकती है । अभी हिडोन से निकली प्रतिमाए मन्दिर में विराजमान की गई हैं जो इतनी ही प्राचीन हैं।
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इस मन्दिर के पास कमलाबाई का मन्दिर है, जो प्रभु पार्श्वनाथ को समर्पित है । सारा मन्दिर कांच का बना है इसमें प्रभु पार्श्वनाथ के पूर्व भवों का चित्रण किया गया हैं । चौवीस तीर्थंकरों की प्रतिमाएं हैं, अनेकों तीर्थंकरों के कांच चित्र हैं । साथ में विशाल कन्या महाविद्यालय है । यहां २२०० से अधिक वालिकाएं शिक्षा अर्जित करती हैं ।
गंभीर नदी के पार शांतिधाम नामक मन्दिरों का एक परिसर है, जिसका निर्माण आचार्य शांतिसागर महाराज जी की प्रेरणा से श्रावकों ने करवाया था । इस मन्दिर में खड़ी भगवान शांतिनाथ जी की ३१ फुट की प्रतिमा है । चारों तरफ २४ तीर्थंकरों की प्रतिमाएं हैं जो पीत जैसलमेरी पत्थर से निर्मित है । भगवान शांतिनाथ जी की प्रतिमा के एक तरफ भगवान पार्श्वनाथ, दूसरी ओर भगवान महावीर स्वामी
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