________________
--
---
आस्था
का
..
५..
.....
इस मन्दिर से अनेक चमत्कारी घटनाएं जुड़ी हुई हैं । एक मंत्री जोधराज पर झूठा आरोप लग गया । राजा ने उसे फांसी का अकारण हुक्म सुनाया । सैनिक उसे वध स्थान पर ले जा रहे थे । रास्ता जंगल से गुजरता था, तभी उस मंत्री ने रास्ते में प्रभु महावीर का मन्दिर देखा । उसने प्रभु महावीर को वन्दना की, फिर उसने मन्नत मानी - अगर मैं इस दोष से मुक्त हो जाऊं तो प्रभु महावीर का तीन शिखर का भव्य जिनालय वनाऊंगा । सिपाही मंत्री जोधराज को जंगल में ले गये । उसे तोप के सामने खड़ा किया गया । गोला दागना शुरु किया । तोप का गोला जोधराज के पांव के पास आकर टण्डा हो गया । मंत्री को मारने के लिये जितने गोले दागे गये, सब ठण्डे पड़ते गये । कोई भी गोला उसे नुक्सान नहीं पहुंचा सका । इस वात की सूचना राजा को दी गई । राजा ने कहा, "तुम्हारे में क्या शक्ति है, जो तोप के गोले को टंडा कर रही है ।"
दीवान जोधराज ने कहा, “महाराज ! मेरे पास तो चांदनपुर के स्वामी भगवान महावीर की शक्ति है । मुझे उसके नाम का आधार है और कोई शरण नहीं ।"
राजा ने प्रभु महावीर की शक्ति को पहचानते हुए, मन्त्री को दोषमुक्त कर दिया । मन्त्री ने उसी टीले पर एक भव्य तीन शिखर के मन्दिर का निर्माण कराया । जिसमें अब काफी परिवर्तन हो चुका है । इस मन्दिर में प्रभु महावीर के अतिरिक्त एक वेदी में प्रभु पुष्पदंत व प्रभु ऋषभदेव की स्थापना की गई । आसपास की वेदीयों में सभी तीर्थंकरों की प्राचीन प्रतिमा स्थापित की गई । यह मन्दिर अव विशाल तीर्थस्थल है । यहां अनेकों शोध संस्थान मन्दिर व धर्मशालाओं का समूह है । वड़ी बात यह है कि यहां सारा संसार प्रभु महावीर की इस चमत्कारी प्रतिमा के दर्शन करने
387