________________
= आस्था की ओर बढ़त कदम आया । उसने जंगल में पंचागिनी तप प्रारम्भ किया । लोग उनके दर्शन करने जा रहे थे । आपको लोगों ने उस योगी के दर्शन करने को कहा । आप हाथी पर सवार होकर योगी के पास जंगल में आये । वहां योगी को देखा । उसकी अग्नि में जीवित नाग-नागिन का जोड़ा जल रहा था । प्रभु पार्श्वनाथ तीन ज्ञान के धारक थे । प्रभु पार्श्वनाथ ने कहा, "योगी राज ! तू कैसा तप कर रहा है ? जिस लक्कड़ को तू जला रहा है उस लकड़ी मे नाग-नागिन का जोड़ा जल रहा है ।"
योगी ने कहा, "तुम संसारिक राजकुमार है, तुम्हें क्या पता है कि योगी. क्या होता है ? तू भौतिकवादी है । तुझे धर्म कर्म का क्या पता ?"
योगी की बात सुनकर प्रभु पार्श्वनाथ ने एक हाथ में कुल्हाड़ी ली, फिर उस लकड़ को कुल्हाड़ी से चीरा । नाग-नागिन का जोड़ा जल रहा था । प्रभु पार्श्वनाथ ने उसे नवकार मंत्र सुनाया । वही मरकर धरेन्द्रचन्द्र व पझावती
वने ।
प्रभु पार्श्वनाथ ने सांसारिक सुखों को छोड़ा, फिर दीक्षा ग्रहण की । १०० दिन की तपरया के बाद उन्हें केवल्य ज्ञान हुआ । प्रभु पार्श्वनाथ का प्रथम उपदेश भी इस नगर में हुआ । डा० जैकोबी ने भारत का प्रथम इतिहासिक महापुरुष भगवान पाश्वनाथ को माना है । प्रभु पार्श्वनाथ का समय हटयोगियों का समय रहा है । यह योगी हट योग से स्वर्ग व मोक्ष की इच्छा करते थे । जव प्रभु पार्श्वनाथ तपस्या कर रहे थे तो हट योगी मरकर देव बन चुका था । उसे अपना पूर्व जन्म याद था । उसका पिछले जन्म में जो अपमान सहा था, उसके कारण वह प्रभु पाश्र्वनाथ का विद्वेषी बन गया । उसने सात दिन-रात्रि दपं अपने देव वल से वर्षा प्रारम्भ की
376