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ગ્રામ્યા છી ગોર કહો મ ले जाने वाला था यहां विभिन्न धर्मो के लोग आपस में प्रेम से रहते हैं । सारी रात बाजार बंद नहीं होते । खाने पीने से विपुल सामग्री हर समय मिलती है, वह भी शुद्ध और ठीक कीमत पर । बड़ी बात यह है कि इस शहर में लाखों की संख्या में यात्रियों का आवागमन रहता हैं। मुगल सराय मुख्य स्टेशन है । यहां कोयले की बड़ी थोक मार्किट है । यहां से कोयला ट्रकों से कोयले का लादान होता है । सारे भारत के कोयले के व्यापारी इसी स्थान पर रहते हैं, उनके दफ्तर भी इसी शहर में हैं ।
रात्री काफी हो चुकी थी, थकावट के बावजूद हम काफी घूम चुके थे । वहां के मुहल्ले बहुत तंग हैं यात्रा ज्यादा पैदल करनी पड़ती है । दूसरे यहां भीड़ इतनी रहती है कि पैदल चलकर व्यक्ति जल्द अपनी मंजिल पर पहुंच सकता है । हमने अगले दिन के लिये यात्रा का कार्यक्रम बनाया । हम अभी वाराणसी में थे । उसी हिसाव से हमने प्रोग्राम बनाया । ★
प्रभु पार्श्वनाथ व उनका जन्म स्थान :
वाराणसी के राजा अश्वसेन व माता वामा देवी के यहां २३वें तीर्थंकर भगवान पारनाथ का जन्म ७७७ ई०पू० में हुआ था । उस समय यहां हठयोंगियों का जमाना था 1 उन्होंने अपनी वहादुरी से एक जंग जीती थी । जिस राजा की उन्होंने सहायता की थी उसकी पुत्री प्रभावती की शादी आपसे से हुई थी । शरणागत की रक्षा के लिये आपको यह युद्ध करना पड़ा । यह कुशस्थल के राजा प्रसेनचित्त थे, जिन्हें कलिंग के राजा यवन राज ने तंग करना शुरु कर दिया था ।
जव कुछ बड़े हुए तो एक योगी आपके शहर में
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