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- स्था की ओर बढ़ते ठया यह अष्टापद हिमालय का फैलाश क्षेत्र है। गौतम स्वामी ने १५०० तापसों को प्रतिवोध र दीक्षित किया । प्रभु महादर के दर्शनों से पहले इन्हें खः से पारणा करवाया, जव व्ह लोग भगवान महावीर के पार दर्शन को आ रहे थे तो इन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हो गया गणधर गौतम ज्ञान से खली रहे । एक वालक अतिमुक्त की ऊंगली पकड़कर उसे मन का मार्ग दिखा दिया ।
इसी प्रकार चन्दना कल के साथ उसकी मौसी सायी मृगावती ने संयम ग्रहण का केवलज्ञान प्राप्त किया । वह प्रभु महावीर की प्रचारक शि, थी । गणधर गौतम ने ल लोगों के जीवन को बदल इला । पावा का वर्णन आते ही गणधर गौतम व चन्दनवाला का वर्णन आना सहज है । इस उसी पुण्य भूमि की ओर आगे बढ़ रहे थे । पावापुरी दर्शन :
नालन्दा में काफी समय लग गया । रात्रि के आट वः रहे थे । हम जलमंदिर की आरती देखना चाहते थे । गाड़ी सड़क पर आगे बढ़ रही थी । कुछ समय के पश्चात् पावापुरी तीर्थकर महावीर इन्टर कालेज का वोर्ड दिखाई दिया । तीर्थक्षेत्र को वन्दन किया । विहार में हम जहां भी गये, अधिक पहाड़ी क्षेत्र थे, नात्र यही मैदानी क्षेत्र था । यहां हर अरहर की फसल खूब होती है । इस क्षेत्र का वर्णन प्रसिद्ध ग्रन्थ विविध तीर्थकल्प में, आचार्य जिनप्रभव सूरि ने विस्तृत ढंग से किया है। यह विवरण २०० वर्ष पुराना है । राजगिर से ३१ कि.मी. की दूरी पर है । यह क्षेत्र २५०० वर्ष पुराना है । भगवान महावीर चम्पा होते यहां पधारे थे ।। यहां का राजा हस्तिपाल था . उस समय यह राजा की । थी, प्रभु महावीर यहां पधारे ।।
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