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- आस्था की ओर बढ़ते कदम अगले दिन पर्वत की तैयारी करने लगे । यह पर्वत धा रत्नगिरि ।
रत्नगिरि :
इस पर्वत पर जाने का मार्ग खतरनाक है । लोग समूहों में गुजरते हैं । उतरने का मार्ग अलग है । इस मार्ग पर चलने के लिये १२७७ सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है । इस पर्वत पर तीर्थकर चन्द्रप्रभु जी व भगवान शांतिनाथ की सुन्दर प्रतिमाएं मन्दिरों में विराजमान हैं । पर्वतों की हरियाली मन से मोह लेती है । इस पर्वत पर भगवान नेमिनाथ, भगवान शांतिनाथ, भगवान पार्श्वनाथ और अभिनंदन स्वानी के चरण चिन्ह हैं । यह पवित्र चरण पादुकाएं व प्रतिमाएं भक्तजनों की थकावट को दूर करती है । ऐसे लगता है कि हम निर्मित किसी देवभूमि का विहार कर रहे हों । इस पर्वत पर जापान सरकार द्वारा शांति स्तूप स्थापित है । जिस पर रोप-वे द्वारा जाया जाता है । जिस समय हम वापिस नीचे उतरे तो रास्ते में अनेकों बौद्ध स्मारकों के चिन्ह देखने को मिले । इस शांति स्तूप से हम रोप-वे के रास्ते से गये । यहां जूते नीचे ही उतारने पड़ते हैं । यहां जापान की सरकार ने एक जरनेटर भेंट किया है । रोप-वे भी जापान सरकार की भेंट हैं । इस शांति स्तूप को संसार भर से दर्शनार्थी देखने को आते हैं । शांति स्तूप की प्रतिमाएं भी जापान सरकार की भेंट हैं ।
हम जब रोप-वे से पहुंचे तो यह अद्भुत लगा, ऊपर से यह पहाड़ डरावने लग रहे थे । चारों तरफ पहाड़ दिखाई दे रहे थे । शांति स्तूप के चारों ओर भगवान बुद्ध की सोने की पालिशयुक्त प्रतिमाएं हैं । अन्दर की प्रतिमाएं भव्य-विशाल
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