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- आस्था की ओर बढ़ते कदम कार्यभार देखती थी । उसका नाम भद्र धा । भद्र सेठानी ने राजा का घर पर सम्मान किया, फिर अपने पुत्र को पुकारा, "वेटे ! नीचे आओ, श्रेणिक आये हैं ।"
. पुत्र ने उत्तर दिया, “माता जी ! आज मेरी क्या जरूरत है, श्रेणिक आया है तो उसे किसी भण्डार में रखवा दो ।"
माता शालिभद्र की अज्ञानता से दुःखी हो गई । उसने कहा, “महाराज ! मेरा लड़का दुनिया से वेखबर है, वह अपनी ३२ पत्नीयों के साथ कामभोग में डूबा रहता है, उसका अपराध क्षमा करें ।"
माता ने पुनः शालिभद्र को पुकारा, "वेटा ! हमारे स्वामी महाराज श्रेणिक आए हैं, तुम उन्हें आकर प्रणाम करो
माता की बात सुनो तो शालिभद्र को एक चोट लगी । उन्होंने सोचा क्या मेरा भी कोई स्वामी है ?
सेट शालिभद्र नीचे आये । राजा श्रेणिक के चरण छुए. । राजा को भोजन करवाया, उपहारों से राजा को ‘सम्मानित किया ।
__फिर किसी समय श्रमण भगवान महावीर धर्मप्रचार ___ करते राजगृह के गुणशील चैत्य में पधारे । राजा श्रेणिक ने घोषणा करवाई । राजा श्रेणिक सपरिवार प्रवचन सुनने
आया । इस प्रवचन में शालिभद्र, उसकी पत्नीयां व माता __ पधारे । शालिभद्र ने प्रवचन सुना । उस पर वैराग्य का रंग
चढ़ आया । उसने प्रभु महावीर के सामने प्रतिज्ञा की-आज से मैं रोजाना एक-एक स्त्री को छोडूंगा । इस बात की सूचना शालिभद्र की बहिन व बहनोई को लगी । बहिन दुःखी रहने लगी । एक दिन वह पति के केश संवार रही थी कि उसकी बहिन की आंखों में आंसू आ गये । पति ने
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