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आस्था की ओर बढ़ते कदम
इसके अतिरिक्त अनेक उतार-चढ़ाव इस नगर ने देखे हैं । यह नगर पांच पहाड़ों के मध्य बसा हुआ है, पर प्राचीन काल में इस का विस्तार नालन्दा तक था । सूत्रकृतांग सूत्र में नालंदा को इस का मुहल्ला माना गया है । श्रेणिक से पहले यह नगर सुरक्षित नहीं था । उसने इसका पुर्ननिर्वाण कराया । एक भव्य किले के चार दीवारी आज भी शहर के वाहर देखी जा सकती है । यह चार दीवारी अव खण्डहर के रूप में विहार में है
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जैन तीर्थ के इलावा महात्मा बुद्ध का यहां काफी आगमन रहा । महात्मा बुद्ध से संबंधितकारी स्मारक यहां देखे जा सकते हैं । संसार भर के वौद्ध, जैन पांचों पहाड़ियों की यात्रा करते हैं । बौद्धों की एक संगीती यहां के एक पहाड़ पर हुई थी । इस पहाड़ पर इतिहास गर्म पानी के भी कुंड हैं, जिनका वर्णन भगवान महावीर ने भगवती सूत्र में किया है । जमीन पथरीली है, इसी कुंड के ऊपर मन्दिर है | इस सदी के प्राचीन मन्दिरों ने खण्डहर व शिव मन्दिर हैं । गर्मकुण्ड पर हिन्दु मन्दिर हैं । यहां मुस्लिम धर्म का मुकदस कुण्ड हैं ।
इस शहर में गुरु नानक देव जी पधारे थे । उनकी स्मृति में यहां एक गुरुद्वारा है । यहां ठण्डे पानी का एक कुण्ड है । इस तरह से यह नगर हर धर्म में संबंधित अंतराष्ट्रीय शहर है । इस शहर का मात्र श्रेणिक से ही संबंध नहीं, यह श्रेणिक परिवारों के अनेकों राजकुमार व राजकुमारियां पोत्र - पोत्रियां ने यहां महावीर से साधु जीवन् ग्रहण किया । वहां मेघकुमार को प्रतिवोध हुआ था । अनेकों लोगों की जीवनधारा का वदलाव लाने वाले नगर की ओर हम अग्रसर हो रहे थे। यह परम पावन भूमि थी । जिसका कण-कण पवित्र था । हम वन्दनीय, पूज्नीय भूमि पर हमारे
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