________________
- आस्था की ओर बढ़ते कदम कदम बढ़ रहे थे । राजगिर में शांत पहाड़ों के नाम इस प्रकार हैं विपुलांचल, रत्नगिरि, उदयगिरि, स्वर्णगिरि, वैभारगिरि । .. वैसे तो पांचों पहाड़ महत्वपूर्ण हैं यहां तीर्थंकरों के समोसरण
आए थे । इन पर्वतों की चोटियों पर अनेक जैन मन्दिर हैं । उदयगिरि पर्वत पर बौद्धों का शांति स्तूप है । यहां जरासंध का किला है । इस के अतिरिक्त यहां स्वर्ण भण्डार मणिकार मठ, वैभवगिरि पर ११ गणधरों के चरण हैं । मैंने पहले लिखा है कि राजगृह का हर पत्थर जीवत इतिहास है । इस नगर के प्राचीन नाम चरणपुर, ऋषभपुर, कुसमपुर, भूमति, गिरिधर, क्षतिफल, पचवैभव राजगृह रहे हैं । वर्तमान में यह नगर राजगिरि कहलाते हैं । शान को हम बस द्वारा राजगिरि बस स्टैंड पर उतरे, वहां बस अड्डे से यहां के दार्शनीय स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी थी । वस स्टैंड पर ही श्वेताम्बर एवं दिगम्बर जैन मन्दिरों के सूचना केन्द्र थे । इतने लम्बे सफर के बाद हमने चाय पीकर थकान टूर की । राजगिर में संसार के कोने-कोने से बौद्ध आते हैं। यहां बौद्ध मन्दिर हैं । वहां हर प्रकार की सुविधा वाले होटल भी हैं । हम सर्वप्रथम दिगम्बर जैन मन्दिर गए । यहां प्राचीन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के दर्शन किए । यह मन्दिर काफी. प्राचीन है । इस मन्दिर में यात्री के ठहरने की सुविधा तथा भोजनालय व सूचनाकेन्द्र हैं । इसके अतिरिक्त मन्दिर के परिसर में उन प्रतिमाओं का प्रदर्शन किया गया है जो राजगिर के वैभवगिरि पर्वत से प्राप्त हुई थी। सभी प्रतिमाएं आठवीं सदी के करीब की हैं । अधिकतर लाल पत्थर और काले पत्थर की हैं । मन्दिर भव्य है, यात्रीओं से भरा रहता है । इसमें सटा श्वेताम्बर जैन मन्दिर का परिसर है । वहां धर्मशाला, भोजनालय व सूचनाकेन्द्र हैं । धर्मशाला प्राचीन है । दोनों परसरों में पर्वत चढ़ने के लिये डोली वालों
310