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आस्था की ओर बढ़ते कटर
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प्रकरण
हमारे जीवन के कुछ महत्वपूर्ण समारोह
१. आलोकिक समारोह :
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो पहली वार ही होती हैं। वैसे तो साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की प्रेरणा से जो कार्य किया, वह सब पहली बार था । परन्तु अभिनन्दन ग्रंथ का चिंतन आलौकिक था। समारोह तो हमारी श्रद्धा व आस्था का प्रतीक था। मैने अभिनंदन ग्रंथ के संदर्भ में लिखा है कि एक वर्ष तैयारी करते रहे। उपप्रवर्तनी जिनशाषण प्रभाविका, जैन ज्योति श्री स्वर्णकांत जी महाराज का दीक्षा का ५०वां वर्ष ७ अक्तूवर १६६७ के. पूरा हुआ, तब तक अभिनंदन ग्रंथ तैयार नहीं हुआ था। वह दिन तपस्या के रूप में मनाया गया। फिर हमने तय किया कि अभिनंदन ग्रंथ २६ जनवरी १९६८ को उनके जन्म दिन पर समर्पित किया जाए। दिसंबर १९६७ में अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित हो गया ।
आखिर २५, २६ जनवरी १६६८ समारोह के लिए तिथि निशचित हुई । इस दिन के लिए एक अभिनंदन पत्र भी समस्त जैन संस्थाओं की ओर से तैयार किया गया। एक वात में यहां और निवेदन करना चाहता हूं कि सारा प्रकाशन का कार्य कम्पयूटरपर हुआ था। इस प्रकाशन में सवच्छता व सुन्दरता का ध्यान रखा गया. इस ग्रंथ के प्रकाशन में साध्वी श्री सुधा जी महाराज के आर्शीवाद व मेरे धर्म आता रविन्द्र जैन का श्रम, एक इतिहासक कान
नारा
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