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आस्था की ओर बढ़ते कदम
अफसर व मंत्रीयों को बुलाना शामिल था। आखिर वह दिन भी करीव आ गया जो निश्चत था । इस समारोह की शोभा बठाने के लिए साधु, साध्वीयों को निमंत्रण दिया गया। कुछ ही दिनों में मेंहमानों से संपर्क किया गया। साध्वी श्री का पुण्य प्रताप था कि सभी अतिथियों ने हां कर दी। निमन्त्रण पत्र प्रकाशित करने का कार्य भी आगरा में सम्पन्न हुआ । ५० अभिनंदन ग्रंथ मंगवाए गए। वाकी पुस्तकें भी आ गई थी । जिस में साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की कृति नन्दन मणिवार भी थी जो बच्चों के लिए उनकी प्रथम कृति
थी ।
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