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- ગાણ્યા છો ગોર હો દમ धूमधाम से मनाया। इस के. वाद देवताओं ने समोसरण की रचना की। प्रभु महावीर का पहला उपदेश देवताओं ने सुना। इस घटना को जैन धर्म में अंछेरा (अचम्भा) माना गया। कभी किसी तीर्थकर की देशना वेकार नहीं जाती। यहां से चल कर प्रभु महावीर पावा पूरी आए, ऐसा श्वेताम्बर मान्यता है। दिगम्बर परंपरा के अनुसार भगवान महावीर का प्रथम उपदेश राजगृही नगरी के विपुलाचल पर्वत पर हुआ था।
खण्ड - ४
प्रथम अध्ययन में केवल्यज्ञान महोत्सव समोसरण . रचना का विस्तार में शास्त्रों के अनुसार वर्णन किया है। द्वितीय अध्ययन में प्रभु महावीर के ११ गणधर का इतिहासक उल्लेख है। यह क्रिया कण्डी ब्राह्मण थे। सभी के साथ शिष्यों का विशाल परिवार था। सभी के मन कुछ संशय थे। जिसका समाधान प्रभु महावीर ने अपनी प्रथम देशना पावपुरी में किया। इन ब्राह्मण गणधरों के नाम हैं १. इन्द्र भूति गौतम २. अग्निभूति ३. वायूभूति ४. व्यक्त ५. सुधर्मा, ६. मण्डत ७. मोर्यपुत्र, ८ अंकपित, ६. अचलभाता १०. मेतार्य ११. प्रभास
इन में सब से बडे इन्द्रभूति गौतम थे। यह महात्मा बुद्ध से भिन्न हैं। इनके गणधरों के शिष्यों की गिनती ४४४० थी। जो सव गणधर के साथ दीक्षित हुए थे। इस दिन श्री संघ की स्थापना हुई। प्रभु महावीर ने प्रथम उपदेश दिया।
गणधरों के प्रश्न :
१. आत्मा २. कर्म ३. आत्मा व शरीर ४. मन और पांच भूत ५. इहलोक-परलोक ६. वंध और मोक्ष
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