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-आस्था की ओर बढ़ते कदा धागे का रिश्ता' प्रकाशित हुई तो इस पुस्तक की हिन्द अनुवाद की एक प्रति हमें भेंट की गई। यह पुस्तक श्रीमत. अमृता प्रीतम जी की विश्व साहित्य को महत्वपूर्ण देन है उनकी पुरतक में स्वपनों पर आधारित इस पुस्तक में अमृत जी द्वारा देखे कुछ स्वप्न दर्ज हैं। जब वह यह पुस्तक भेंट कर रहीं थीं तो उन्होंने हमें कहा “आप स्वप्नों पर आधारित मन्दिरों के बारें में पंजावी में लिखें। मैं इसे अपनी अपन पत्रिका नागमणि में स्थान दूंगी।" ऐसी नहान कवियत्री ८ कहानीकार लेखिका की बात सुन कर मेरे धर्मभ्राता रविन्द्र जैन ने उत्तर दिया "हम सभी मंदिरों के बारे में लिख नहें सकते। हा अगर आप चाहें तो स्वप्नों पर आधारित हजार जैन मन्दिर हैं जिनके बारे में हम सूचना दे सकते हैं।
श्रीमती अमृता प्रीतम जी ने मेरे धर्मभ्राता रविन्द्र जैन की बात स्वीकार की। इस प्रकार हमने स्वप्नों पर आधारित जैन मन्दिरों की सूची तैयार की। हमने इस संटमें ८ किश्तों में नागमणि जैसी प्रसिद्ध पंजाबी पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। यह हमारे लिए ऐसा अनुभव था कि जैन मन्दिरों की सूची तैयार करने, हमें काफी जैन तीथों ग्रंथों का अध्ययन करना पड़ा। जिन में प्रमुख ग्रंथ थे 'अखिल भारतीय दिगम्बर जैन तीर्थ' व 'जैन तीर्थ क्षेत्र दर्शन' प्रमुख हैं। पहले ग्रंथ के ७ भाग हैं। दूसरे के ३ भाग हैं। इन्हीं ग्रंथ. के आधार पर हम यह ग्रंथ संपन्न कर पाये।
इन रचनाओं के माध्यम से पंजावी लेखकों में हमारी "हचान और बढ़ी। हमें साहित्य क्षेत्र में अपनी मातृ भापा व संस्कृति के प्रति कुछ करने की प्रेरणा मिली। हम भी
नागमणि परिवार के सदस्य बन गए। श्रीमती अमृता प्रीतम __ जी से पुस्तकों की भेंट का सिलसिला १६७६ से चल रहा है
जो आज भी चालू है। ये पुस्तकें हमारी पहचान कराती हैं!
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