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-आस्था की ओर बढ़ते कदम स्थान का विवरण, सरल पंजाबी भाषा में वर्णन करने की चेष्टा की गई है। गणधरवाद १० :
___ हर तीर्थकर के गणधर होते हैं, जो प्रभु की वाणी का संकलन करते हैं। अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर के ११ गणधर थे। इनमें प्रमुख गणधर इन्द्रभूति गौतम् थे। कई अज्ञानी इस गौतम को महात्मा बुद्ध मान लेते हैं। पर ' ऐसा नहीं है। यह सव ब्राह्मण थे। सभी गणधरों ने प्रभु महावीर के दरबार में अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया था। फिर इन्होंने अपने हजारों शिष्यों के साथ दीक्षा प्राप्त की थी।.दीक्षा से पहले हर गणधर के मन में कुछ प्रश्न थे। इन प्रश्नों व उनके उत्तर की चर्चा इस पुस्तक में की गई है। गणधर वाद पर दार्शनिक चर्चा का एक मात्र जैन पंजावी ग्रंथ है। इस में लिए जीव आत्मा, नरक-स्वर्ग, देव, कर्म, इश्वर आदि विषय पर चर्चा की गई है। जैन धर्म - इक संखेप जानकारी ११:
यह २५१ पृष्ट का विशाल ग्रंथ है। यह पुस्तक बी.ए. तृतीय (धनी में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के धर्म अध्ययन विभाग द्वारा सुझाव पुस्तिका के रूप में मान्य रही है। इस ग्रंथ पर दैनिक ट्रिब्यून में डा० धर्म सिंह ने समीक्षा लिखी। विद्वानों में इस ग्रंथ की मांग बहुत रही है।
इस ग्रंथ में जैन धर्म की प्राचीनता, धर्म, दर्शन, संस्कृति व मान्यताओं को प्रकट करने वाली एक मात्र पुस्तक है। इस पुस्तक के तीन भाग हैं। प्रथम भाग में जैन परम्परा, संस्कृति व साहित्य को चर्चा का विषय बनाया गया है।
दूसरे भाग में नवकार मंत्र की व्याख्या है। तीसरे भाग में जैन दर्शन की चर्चा है। यह ग्रंथ में जैन धर्म की
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