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आस्था की ओर बढ़ते कदम परिचय में आए। उनकी रचनाओं व कार्य से हम अवगत हुए । उन्हें इस अवार्ड के माध्यम से सम्मानित करने का हमें सौभाग्य मिला । मेरी धर्म के प्रति आस्था को नया आयाम मिला। यह अवार्ड भविष्य में हमारे सम्मान का कारण वना । पर हम इस सम्मान को अपना सम्मान नहीं मानते, वल्कि भगवान महावीर व जैन संस्कृति का सन्मान मानते हैं । इस सन्मान के माध्यम से हम बहुत सारे विद्वानों के संपर्क में आए। इस में कुछ एक का परिचय हम देना ठीक समझते हैं । इस का प्रथम अवार्ड संगारिया मंडी राजस्थान में डा० भट्ट के गुरू कलास वरून जर्मन को उनकी अनुपस्थिति में मिला। यह भव्य समारोह जैन युवा मण्डल ने जैन साध्वी श्री स्वर्ण कांता जी महाराज की प्रेरणा से किया ।
दूसरा अवार्ड डा० वी. भट्ट निर्देशक जैन चेयर को उनके निक्षेप सबंधी सूक्ष्म विवेचन के लिए मानसा में हमारी गुरूणी साध्वी स्वर्णकांता जी महाराज के सानिध्य में प्रदान किया गया। एक भव्य समारोह था । मानसा के विशाल जैन स्कूल में भव्य समारोह रखा गया। वह अक्षय तृतीया का इतिहासिक दिन था। यह दिन वर्षों तप करने वालों के लिए पवित्र दिन होता है । इसी दिन भारत वर्ष के जैन हस्तिनापुर व शत्रुंजय तीर्थों पर वर्षों तप का पारणा करते है । यह वर्षों तप का सबंध भगवान ऋषभदेव से है । उन्हें एक वर्ष तक तप करने के बाद हस्तिनापुर में राजा श्रेयांस ने पारणा इक्षु रस से करवाया था । इसी की स्मृति में श्रमण वर्ग व साधु वर्ग इसी दिन तीर्थ व गुरू चरणों में इक्षु रस से पारणा करवाया जाता है। महासती जी का बरसी तप के पारणों भी उसी दिन था। इस में सर्वप्रथम मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने महासती का परिचय साध्वी स्वर्णकांता का परिचय व डा० भटूट के कार्य का अपने लिखित भाषा में
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